Thursday, November 24, 2022

मणिमहेश कैलाश यात्रा 2015

तो बीइंग ए प्रो बंदरलस्ट होने के नाते मुझे नीचे वाला पैराग्राफ लिखना ही था, मैं मजबूर हूँ सेल्फ ओबसेशन के कारण, आई हॉप यू कैन अंडरस्टैंड । . कल इस समय मैं हिमालय में होऊंगा... उस एहसास को पाने, पीने और जीने को मेरी रूह कैसे तड़प रही है । 


अपनी माँ के आँचल में जो सुख बच्चे को मिलता है वैसा ही मुझे हिमालय में जाकर मिलता है । फेसबुक, व्हाटसऐप्प या इन्टरनेट पर जब भी जहाँ भी हिमालय की फोटो देखता हूँ तो मेरे मन में सारे विचार सीमाओं को तोड़कर बहने लगते हैं । ओह...कैसे बताऊँ उस अनोखे एहसास के बारें में? । 


शब्दों और जुबान के वश में नहीं है उस सैलाब को ज्यों का त्यों ब्यान करना । वो तो एक मौन एहसास है जिसे शब्दों में नापा नहीं जा सकता, “उसे देखकर भी देखा नहीं जा सकता, वो तो बीच की कड़ी है, जन्नत का द्वार” ।











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