Friday, November 25, 2022

चुशुल (4360 मीटर)

मनाली से चले तो सभी कृष्ण बनकर थे परन्तु लेह पहुंचते-पहुंचते सबके चेहरे भैरों बाबा जैसे दिखने लगे। कभी खुद पे कभी दूसरों वे हंसते हुए तय करते हैं कि अब मनाली वापस पैंगोंग व शो-मोरीरी साइड से जाएंगे। . पैंगोंग क्रोस करके चुशुल जा रहे थे...हसीन नजारे देखकर मुझमें दीपिका पादुकोण की आत्मा आ चुकी थी, रेजांग-ला वार मेमौरियल से पहले गाड़ी रुकते ही मैं "इतना मजा क्यों आ रहा है" गाना गा देता हूँ, जिसपर साथियों का सिर्फ इतना कहना था "खिलजी बनने पर मजबूर मत कर"। . इन्हीं बादलों में हमने इंद्रधनुष और कड़कती बिजलियाँ भी देखी थीं, वो फोटो फिर कभी।



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