फिज़ाओं से फरीदाबाद की आज सुबह जब उठे तो खयाल कई आये बहती बारिश को देखकर।
1. तुम सबकी दुनिया एक दुनिया है, जिसके साथ मेरी बिल्कुल ही अलग दुनिया साथ-साथ चलती है जहाँ मैं कुदरती तरीके से जीता हूँ पक्षियों के साथ। .
2.पहले उनकी आवाज़ सुनने को तरसता था पर अब नहीं, अब उनके शब्द जुबां से मेरी झरझर बरसते हैं।
3. जब खुदको भूलता हूँ तब एहसास उसका मेरे बह्मांड में आकाश गंगा की तरह चमकता है।
4. मैं पहाड़ चढ़ रहा था तब उसने हाथ पकड़कर मेरा...मुझे नदी किनारे बैठाया था। तब हमने एक साथ सूर्यास्त देखा था इन्द्रासन के पीछे।
5. मैंने करुणा से धोकर सर्वत्र को अपने हाथों से तेरे चरणों में रख दिया प्रेम से पौंछकर।
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