हम जहां भी जाएं ये पहाड़ हमेशा वहीं रहते हैं, उफ्फ इतनी फिलॉसफी सिर्फ पहाड़ों से मिल सकती है। यह सरचू है, हिमाचल और कश्मीर बॉर्डर के पार की धरती, नहीं समझे अरे भई सरचू ठेके के बाद का सीन है। कुछ फोटों देखने और जीने के लिए ही खींची जाती हैं। रात 9 के बाद लगता है मुझमें भी संभित पात्रा का भूत घुस जाता है।
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Rohit kalyana
दिमाग में एक बबाल घूमता है जिसे लेकर मैं यहाँ से वहाँ टहलता रहता हूँ । इस ब्लॉग में उसी बबाल को लिखने और दिखाने का प्रयास किया है, यहाँ आप बहुत ज्यादा बकवास कंटेंट पढ़ोगे और शानदार फोटोग्राफी देखोगे । दर्शकों से अपील रहेगी कि अपनी प्रतिक्रिया गाली के रूप में या गो टू हेल बोलके कमेन्ट सेक्शन में जरुर दर्ज़ कराएँ ।
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