Friday, November 25, 2022

रोहतांग पास (3978 मीटर)

कई महीने लगातार यह सोचकर खुद को तैयार किया कि “तू फ्री सोल है कुछ भी कर सकता है बावा” । खुद का ही माइंडवाश करने के बाद मैं साइकिल खरीदता हूँ और ‘मुसाफिर हूँ यारों ना घर है ना ठिकाना’ बोलकर मनाली-लेह हाईवे पर साइकिलिंग के लिए निकलता हूँ वो भी एकदम सोलो । लेह तक पहुंचने में मानो कई जन्मों का समय लगा और बीच में आयी अनेकों मुसीबतों का लेखक ने बड़े घटिया तरीके से विवरण दिया है । 


Pc: Dhanush k Dev .

Post a Comment

Whatsapp Button works on Mobile Device only

Start typing and press Enter to search