"अपुन को कुछ एडवेंचर करना है", 2013 में ये डायलॉग घरवालों को बोलकर मैं अकेला घर से निकल गया था जीन पहनकर। घरवाले मेरे बागी होते बीहेव से परेशान थे और मैं खाली जेब से। उन्होंने मेरे कपड़े, बैग और जूते छुपा दिए जिनके लिए अपुन को रात भर सर्च एंड रेस्क्यू अभियान चलाना पड़ा जोकि देर रात गाय के भूंसे के बौरे में मिले। .
शाम को लोहाजंग पहुंचकर चाय पीता हूँ, अंकिल पूछते हैं अकेले जाओगे रूपकुंड?। "नहीं तो...ये पेड़, पत्थर, नदी, सूरज और आसमान भी मेरे संग जायेंगे", बोलकर मैं सीप लेता हूँ जिसपर अंकिल का बोलना है "अभी आएगा ना मज़ा बीड़ू"। .
मैं रूपकुंड से जूरा-गली होकर बर्फबारी में होमकुंड पहुंचा जहाँ से रोहन्टी सैडल के बेस को छूकर सुतोल पहुंचता हूँ गिरता-पड़ता। सुतोल में गांव वालों का कहना था "कल ही एक गांव वाले को भालू ने कुत्ते की तरह धौया है", जिसपर अपुन का सोचना था "अब अंडरग्राउंड होने का टाइम आ गया है"। . आपका पहला सोलो ट्रिप कौनसा था?।
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